इस दीपक को देखकर यही विचार आता है,
आभार उस कुम्हार को, जिसने अपने श्रम से गीली मिट्टी को दीप का आकार दिया।
आभार उस किसान को जिसने अपने श्रम से उगाया है कपास और बन गया दीपक का बाती।
आभार उस कोल्हू को जिसके श्रम से निकला बीज से तेल, और जल उठा हम सबका दीप।
दीपावली का महत्त्व
दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इस दिन श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के नागरिकों ने अपने घरों और पूरे शहर को दीपों से सजाया। तब से, दिवाली दीये जलाने और पटाखे फोड़ कर मनाई जाने लगी।
दिवाली मनाने का एक और कारण यह है कि यह भारत के कई हिस्सों में नए साल की शुरुआत मानी जाती है। दिवाली उत्सव देवी लक्ष्मी की मुक्ति का भी प्रतीक है, जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था। भगवान विष्णु ने भेष बदलकर उन्हें राजा से बचाया, जिससे कई क्षेत्रों में दिवाली का हर्षोल्लास मनाया जाने लगा, क्योंकि यह लोगों के घरों में पूजनीय देवी लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है।
दीपावली के मनाने के अन्य कारण
- धन, वैभव, समृद्धि की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव।
- अथर्वन ऋषि द्वारा अग्नि की प्रथम खोज।
- राजा बलि को भगवान् वामन द्वारा पाताल लोक का स्वामी नियुक्त करना।
- भगवान् राम, माता जानकी एवं भ्राता लक्ष्मण का 14 वर्ष के वनवास के उपरांत अयोध्या आगमन।
- सिख धर्म के गुरु हरगोविंद सिंह जी का मुगलों के कैद से आज़ाद होना।
- गुरु अर्जुनदेव जी द्वारा अमृतसर शहर की स्थापना।
- अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास।
- गुरु गोविन्द सिंह जी का विजय यात्रा पर निकलना।
- पांडवों का 13 वर्ष के वनवास के उपरांत हस्तिनापुर लौटना।
- धर्मराज युद्धिष्ठिर का राज्यतिलक।
- दयानंद सरस्वती को निर्वाण प्राप्त होना।
- जैन धर्म के भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त होना।
- भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध और 16,108 स्त्रियों का मुक्त होना।
- नचिकेता द्वारा यमराज से ज्ञान प्राप्त करना।
- राजा विक्रमादित्य का राज्यतिलक और विक्रम संवत की शुरुआत।
- नेपालियों का नया वर्ष आरंभ।
- स्वामी रामतीर्थ का जन्म।
- भगवान बुद्ध का 17 वर्ष बाद अपने गृह नगर कपिलवस्तु लौटना और दीपमालिका द्वारा स्वागत।
- अप्प दीपो भवः का उपदेश देना।